kolavaree d .....
जो सोचकर मैं उड़ रहा था आसमान में , हकीक़त उससे भी ज्यादा जमीनी निकली
मैं तेरी खातिर छोड़ देता इस ज़िन्दगी को भी , लेकिन ज़िन्दगी तुझसे ज्यादा कमीनी निकली....
.................................................................................................................................................
confusion ........
मेरी हर कहानी में तेरा जिकर क्यूँ हैं
कुछ होना नहीं है फिर भी इंतनी फिकर क्यूँ हैं...
कुछ बाते हैं जो अक्सर समझ में नहीं आती ...
life तेरी programing में इतना error क्यूँ हैं....
..................................................................................................................................................
frustation .....
कैसे तुमको दिखलाऊं इस दिल पे कितनी चोट है
ग़ालिब की हजारों ख्वाहिशें मेरी तो फिर भी एक है
शायद तुम्हारे हिस्से में होंगे पिज्जा बर्गर
मेरे हिस्से में तो बस फ्यूचर की खाली प्लेट है .
काश! ज़िन्दगी तू भी मेरे संग डेटिंग पर चलती
पर न जाने क्यूँ ट्रेन तुम्हरी इतनी ज्यादा लेट है .
.............................................................................................................................. .
हाल मत पूछो इस दिल से ज़िन्दगी...
मत पूछो ये दुनिया हमे कितना प्यार करती है
जिन गलियों में कभी हमने गुजारा था बचपन
आज वो गलियां हमे पहचानने से इंकार करती हैं .
......................................................................................................................................
जो सोचकर मैं उड़ रहा था आसमान में , हकीक़त उससे भी ज्यादा जमीनी निकली
मैं तेरी खातिर छोड़ देता इस ज़िन्दगी को भी , लेकिन ज़िन्दगी तुझसे ज्यादा कमीनी निकली....
.................................................................................................................................................
confusion ........
मेरी हर कहानी में तेरा जिकर क्यूँ हैं
कुछ होना नहीं है फिर भी इंतनी फिकर क्यूँ हैं...
कुछ बाते हैं जो अक्सर समझ में नहीं आती ...
life तेरी programing में इतना error क्यूँ हैं....
..................................................................................................................................................
frustation .....
कैसे तुमको दिखलाऊं इस दिल पे कितनी चोट है
ग़ालिब की हजारों ख्वाहिशें मेरी तो फिर भी एक है
शायद तुम्हारे हिस्से में होंगे पिज्जा बर्गर
मेरे हिस्से में तो बस फ्यूचर की खाली प्लेट है .
काश! ज़िन्दगी तू भी मेरे संग डेटिंग पर चलती
पर न जाने क्यूँ ट्रेन तुम्हरी इतनी ज्यादा लेट है .
.............................................................................................................................. .
Nostalgia
हाल मत पूछो इस दिल से ज़िन्दगी...
मत पूछो ये दुनिया हमे कितना प्यार करती है
जिन गलियों में कभी हमने गुजारा था बचपन
आज वो गलियां हमे पहचानने से इंकार करती हैं .
......................................................................................................................................
Comments
Post a Comment