घुटन
अविश्वसनीय
पीड़ा
अविश्वसनीय
रोज चले आते हैं मेरे बिस्तर पर
तकिये के नीचे
बुदबुदाते हैं
घुस जाते हैं मेरे सपनों में
नोच नोच कर खाते हैं उन खूबसूरत कहनियों को
जिनमे मैं जिंदा रहना चाहता हूँ ........ताउम्र
जैसे एक नदी अपनी ही धुन में बहना चाहती है हमेशा .
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