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वजूद

नशा है उतरने में वक़्त लगता है 
टूटा हुआ दिल जुड़ने में वक़्त लगता है 
क्यूँ चढ़ते हो इतनी ख्यालों की सीढ़ियां 
जबकि तुमको ऊंचाइयों से डर लगता है 
तिनाली पर खड़े उस पागल की तरह हो तुम 
जिसकी बातों से शहर बेफिकर लगता है
रात के कंधों पे चढ़ा हुआ ये चाँद
क्यूँ वजूद से अपने बेख़बर लगता है.



तिनाली( assamese) - तिराहा  

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फलक, रात, तारे, रौशनी, चाँद, और बारिस. तुम कहती हो पागलपन है , मैं कहता हूँ दीवानापन . एक स्पर्श , जो बारिस से नहला देती है , खवाहिश जो तारों की तरह मद्धिम है , और चाँद इतने करीब होकर भी दूर. एक सिमटा हुआ फलक , जहां  आशा और निराशा मिलते हैं किसी बिंदु पर. ये पागलपन नहीं है , ये एक नई दुनिया की खोज है - यहाँ  जिंदगी एक नशा है.

बारिश की रिंगटोन ....

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