उस दिन मुझे जाने क्या ऐसा हो गया था
काम से लौटकर बिस्तर पर गिर कर सो गया था
कोई आवाज़ दे मुझको पर दिखाई न दे
मैं अपने ही घर में जाने कहाँ खो गया था
वो कोई ख़्वाब था हकीकत मालूम नहीं मुझे
तूने गोद में रखकर सर मेरे होंठों को छुआ था
बड़ी देर तक आईने में देखा किया खुद को
पता नहीं वो मैं ही था या कोई और वहां था .
काम से लौटकर बिस्तर पर गिर कर सो गया था
कोई आवाज़ दे मुझको पर दिखाई न दे
मैं अपने ही घर में जाने कहाँ खो गया था
वो कोई ख़्वाब था हकीकत मालूम नहीं मुझे
तूने गोद में रखकर सर मेरे होंठों को छुआ था
बड़ी देर तक आईने में देखा किया खुद को
पता नहीं वो मैं ही था या कोई और वहां था .
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