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Showing posts from 2013

शब्द

शब्द हाँ, शब्द. ... कई बार  निरर्थक हो जाते हैं ये बताते हुए कि आपको उन चीजों से लगाव क्यों हैं जो बाकियों के लिए हैं -बेकार ,बकवास शब्द हाँ, शब्द. ... कई बार चमत्कारिक होते हैं (हो उठते हैं ) जब वे गढ़े जा रहे होते हैं दिल के किसी कोने में किसी के लिए तब मुरझाया हुआ पेड़ हरे पत्तों से सरोबार हो उठता है सूखे हुए तालाब में तैरती हैं मछलियाँ गर्मियों में खिड़की से घुस आती है ठंडी धूप शब्द हाँ, शब्द. ... कई बार उदास होते हैं ( या करते हैं उदास होने का नाटक ) जब कोई सुबह से पहले के अँधेरे में उन्हें जगा देता है एक कविता लिखने के लिए .

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घुटन  अविश्वसनीय  पीड़ा  अविश्वसनीय  रोज चले आते हैं मेरे बिस्तर पर  तकिये के नीचे  बुदबुदाते हैं  घुस जाते हैं मेरे सपनों में  नोच नोच कर खाते हैं उन खूबसूरत कहनियों को  जिनमे मैं जिंदा रहना चाहता हूँ ........ताउम्र  जैसे एक नदी अपनी ही धुन में बहना चाहती है हमेशा .

एक दिन

एक दिन-  उदासियों में डूबे  हुए जब शाम की खिड़की खोली देखा संमुन्दर घर की दहलीज़ पर आ गया है चारों ओर फैली है रेत-नर्म और गीली बिल्कुल मेरे ख्यालों की तरह पांवों के निशान पीछे छोड़ते हुए मैं ढूँढ रहा हूँ किसी को , जिसे होना चाहिए था यही पर मेरे साथ लेकिन मुझे मिली-  छोटी-छोटी सीपियाँ एक टूटी हुई वायलिन बंद पड़ी हुई रेत घडी और एक सीलबंद लिफाफा न जाने कौन रख गया है , किसके लिए ,पता नहीं जब समुंदर ने सूरज को निगल लिया और रह गयी गीले शोरों की धुन रेत पर रेंगती उँगलियाँ थम सी गयी लहरों पर चलती हुई एक परी मेरे पास आई और बोली - "ये लिफाफा मेरे लिए हैं ". उसके हाथ बर्फ जैसे ठंडे थे चेहरा उजालों से भरा हुआ लिफाफा हाथ में लिए वो कुछ पल के लिए मुस्कुराई फिर लौट गयी उन्हीं लहरों के बीच मैंने रेत घडी उलट कर रख दी जोड़ लिया वायलिन के तारों को और छोटे-छोटे सीपियों से बोला - मुझे मालूम हैं ...मैं एक ख्वाब देख रहा हूँ .