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Showing posts from 2011

मौसम बिलकुल भी रोमांटिक नहीं है....

मौसम बिलकुल भी रोमांटिक नहीं है.... जलती दोपहरी है  पसीने से तर बतर मैं  रुमाल रूम पर भूल गया हूँ  और तुम मुझे याद आ रही हो .. तुम्हरी हथेलियों का ठंडापन  गर्म साँसे  सन्नाटा  भीगी हुई हंसी  बिना शब्दों वाली भाषा सच कहता हूँ- मौसम बिलकुल भी रोमांटिक नहीं है ...... सड़को पर दौड़ती उदास बसे  ट्रेफिक का शोर  अपने निजीपन को बचाए रखने की होड़  कही कुछ छुट जाने का डर हाथों में दबी कैरिएर की फाइल  इन सबके बीच - तुम मुझे याद आ रही हो  लेकिन सच कहता हूँ - मौसम बिलकुल भी रोमांटिक नहीं है .

बारिश की रिंगटोन ....

आधी रात की  धीमी बारिश है.... हल्की ठण्ड है मैं अब भी जाग रहा हूँ .. एक खिलखिलाहट भरी आवाज़  मेरे कानों में गूँज रही है खिड़की से बाहर झांकता हूँ  एक पेड़ ठण्ड से कांप रहा है.. वो आवाज़ छनकर फिर मेरे कानो में गूँज रही है-- खिलखिलाहट भरी  नीद की ट्रेन आँखों के प्लेटफ़ॉर्म पे आ क्यूँ नहीं रही' ये हवायें खिडकियों पर इतना शोर क्यूँ मचा रही हैं  कमरे की बेतरतीब पड़ी हुई चीजों में - मेरे ख्वाब कहीं खो गए हैं. और ख्वाहिश facebook की फ्रेंडशिप लिस्ट की तरह ....... जिनसे चाहकर  भी chat नहीं हो  पाती . आँखे बंदकर लेटा हुआ हूँ फिर वही खिलखिलाहट भरी धुन मेरे कानो में गूँज रही है, अचानक मुझे  अपने  दोस्त की   चीख सुनाई देती है---- कम्बखत ! अपना फ़ोन क्यों नहीं उठाता .

कुछ बेवज़ह

तेरे ख्वाबों से जिंदा है मेरी कहानियां अब तक , तुझे शब्दों में पिरोउं तो ऐसा लगता है  . खिड़की से झांकती एक शाम अधूरी , दरवाज़े पे खड़ा है कोई ऐसा लगता है. तेरे गाँव का रास्ता मुझे मालूम है फिर भी  तेरे घर तक नहीं पहुचुँगा ऐसा लगता है . मेरे ख्यालों के दीवारों पर जब धुप उतरती है , मैं लिखता हूँ कुछ बेवज़ह ऐसा लगता है.   
बारिश की बूंदे फूलों की खुश्बू इनसे भी महंगी तुम्हरी  हंसी है  नमी रेत की और समुन्दर की  लहरें  इनसे भी बढकर तुम्हरी ख़ुशी है  ढलता हुआ सूरज किरण चांदनी की  शायद तुम्हारे लिए ही बनी है  लिखने को करता है दिल तो बहुत कुछ  मगर मेरे पास शब्दों की कमी है...............