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बारिश की बूंदे फूलों की खुश्बू
इनसे भी महंगी तुम्हरी  हंसी है 
नमी रेत की और समुन्दर की  लहरें 
इनसे भी बढकर तुम्हरी ख़ुशी है 
ढलता हुआ सूरज किरण चांदनी की 
शायद तुम्हारे लिए ही बनी है 
लिखने को करता है दिल तो बहुत कुछ 
मगर मेरे पास शब्दों की कमी है...............

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ठंडी ठिठुरती रातों की दिल्ली  अच्छी है दिसम्बर के रातों की दिल्ली.  सभी को कहीं पे पहुँचने की जल्दी  बड़ी तेज रफ़्तार वाली है दिल्ली.  कहीं बेमतलब के झगड़ों में.. ............ सपनों से भरी हुई बसों में .............. ज़िन्दगी की ट्रेफिक में फँसी ............ कभी रेड तो कभी ग्रीन है दिल्ली . कभी सुबह की भूख ने दी शाम को दावत कहीं इजाबेला के थिरकते पैरों की शरारत कई उदास गलियों के खूबसूरत किस्सों में ग़ालिब के उलटे सीधे ख्यालों की दिल्ली .

मौसम बिलकुल भी रोमांटिक नहीं है....

मौसम बिलकुल भी रोमांटिक नहीं है.... जलती दोपहरी है  पसीने से तर बतर मैं  रुमाल रूम पर भूल गया हूँ  और तुम मुझे याद आ रही हो .. तुम्हरी हथेलियों का ठंडापन  गर्म साँसे  सन्नाटा  भीगी हुई हंसी  बिना शब्दों वाली भाषा सच कहता हूँ- मौसम बिलकुल भी रोमांटिक नहीं है ...... सड़को पर दौड़ती उदास बसे  ट्रेफिक का शोर  अपने निजीपन को बचाए रखने की होड़  कही कुछ छुट जाने का डर हाथों में दबी कैरिएर की फाइल  इन सबके बीच - तुम मुझे याद आ रही हो  लेकिन सच कहता हूँ - मौसम बिलकुल भी रोमांटिक नहीं है .